आयुष्मान भारत योजना में 1.21 लाख करोड़ रुपये के बकाया दावों का खुलासा: RTI रिपोर्ट
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत पैनल में शामिल अस्पतालों को कुल ₹1.21 लाख करोड़ (₹1,21,61,45,63,617) के दावे अभी तक अदायगी नहीं हुए हैं। साथ ही, 63,89,517 दावे लंबित हैं, जिसके कारण अस्पताल वित्तीय संकट में डूबे हुए हैं। यह जानकारी एक RTI आवेदन के जवाब में साझा की गई।
RTI आवेदन के माध्यम से मिली जानकारी
श्री अजय बसुदेव बोस द्वारा दायर RTI आवेदन में, आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अस्पतालों को बकाया राशि की विस्तृत सांख्यिकी मांगी गई थी। NHA के जवाब में खुलासा हुआ कि 63,89,517 दावे अभी भी निपटाए नहीं गए हैं, जिसके चलते पैनल अस्पतालों को भारी बकाया राशि का सामना करना पड़ रहा है।
योजना का उद्देश्य और वर्तमान समस्या
आयुष्मान भारत (PM-JAY) एक स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का कैशलेस इलाज प्रदान करना है। लाभार्थी पैनल अस्पतालों में मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकते हैं, जिससे चिकित्सा खर्चों में कमी आती है। हालाँकि, इतने बड़े पैमाने पर लंबित दावे यह दर्शाते हैं कि अस्पतालों को उनके भुगतान समय पर नहीं मिल पा रहे, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो रही है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल ने अपनी ‘X’ हैंडल पर इस स्थिति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा,
“RTI रिपोर्ट से पता चलता है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 1.21 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं और 63 लाख से अधिक दावे लंबित हैं। अस्पताल संकट में हैं, और सरकार इस मुद्दे पर मौन है। यह एक शर्मनाक स्थिति है।”
इसके अतिरिक्त, चिकित्सा क्षेत्र की चिंताओं को उजागर करते हुए बताया गया कि हरियाणा में लगभग 600 निजी अस्पतालों ने सरकार द्वारा 400 करोड़ रुपये के लंबित भुगतान के कारण आयुष्मान भारत योजना से बाहर होने का निर्णय लिया है।
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धोखाधड़ी के मामलों पर भी निगाह
हाल ही में, राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रोसेस किए गए ₹6.66 करोड़ के दावों में से लगभग 2.7 लाख दावे धोखाधड़ी के रूप में सामने आए हैं। इन दावों की कुल राशि लगभग ₹562.4 करोड़ है, जिसके कारण सरकार ने अब तक 1,114 अस्पतालों को डि-एंपैनल कर दिया है और 549 अस्पतालों को निलंबित कर दिया है।